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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Wednesday, 30 April 2014

मंदबुद्धि हम जीव हैं

ॐ सांई राम


साईं हम पर कृपा करो,बालक हैं अनजान 
मंदबुद्धि हम जीव हैं,
 हमको लो आन संभाल  
व्रत आपका कर रहे, दो आशीष यह आन  
विघ्न  पड़े न इसमें कोई, कृपा करो दीन दयाल 
साईं नाम जो मन से ध्याता,
 अंतर्मन उसका मिट जाता 
पूरन होते है सब काम, मिलकर बोलों ॐ सांई राम

Tuesday, 29 April 2014

सिमरन करो तो मन सवर जाये

ॐ साईं राम


सिमरन करो तो मन सवर जाये 

सेवा करो तो तन सवर जाये
 
कितनी दिलकश हैं प्यारे साईं की बातें

अमल करो तो ज़िन्दगी सवर जाये

रहने न देते  जो दुःख का निशान, शिर्डी के दाता सब से महान |

Monday, 28 April 2014

और मांगे भी क्या तुझ से ओ मेरे साईं

ॐ साईं राम


दिल क्यों उदास है
 
आज फिर साईं से मिलने की प्यास है
 
आँख में आंसू और दिल में एक आस है
 
यह भी विश्वास है कि साईं हर पल आस पास है
 
लेकिन फिर भी न जाने क्यों दिल उदास है

और मांगे भी क्या तुझ से ओ मेरे साईं, ऐसा क्या है जो तुझ से न पाया है |
औरों को जो मिला मुक़द्दर से मिला, हमने तो मुक़द्दर भी तेरे दर से पाया है |
 

Sunday, 27 April 2014

तू है हमारा और हम तेरे

ॐ साईं राम


तू है हमारा और हम तेरे
तेरे प्यार में तेरे द्वार पे डाल दिये हमने डेरे
तू है हमारा और हम तेरे
तेरे चमन का रंग अनोखा है
दूसरे बागों में धोखा ही धोखा है
मुरझाए फ़िर खिले रहे चाहे कितना भी हमें ग़म घेरे
तू है हमारा और हम तेरे
किसकी मज़ाल तेरे दर से उठाएगा
किसमें है ताकत हमें कौन बहकाएगा
दिलसे निकली यही दुआ तू कभी न हमसे मुहं फेरे
तू है हमारा और हम तेरे
तेरा रस्ता चमकता मिलेगा
कोई भी राही न थकता मिलेगा
हर पग पर मिट जाएंगे मन की शंका के अंधेरे
तू है हमारा और हम तेरे

Saturday, 26 April 2014

इस जीवन के रूप देखे

ॐ साईं राम


हे सांई इक कर्म कमा,
मेरा हिसाब यही चुका,
मेरे कर्म धर्म जो भी है,
जो भी पाप पुन्य किया,
सारा लेखा कर सफा,
हे सांई, हे मेरे बाबा इक यह कर्म कमा
इस जीवन के रूप देखे,
ये सारे आडम्बर देखे,
नाते देखे रिश्ते देखे,
संगी देखे साथी देखे,
सारे लेते सिर्फ मज़ा,
हे सांई, हे मेरे बाबा इक यह कर्म कमा
यदि फिर आना हो बाकी तो,
कर्म भोगने हो बाकी तो,
ये दिल न देना बस करना इतनी दया,
न है मेरी इंसान बनने की ही चाह,
हे सांई, हे मेरे बाबा इक यह कर्म कमा

Friday, 25 April 2014

सुख-दुःख सबके देख रहा है

ॐ  साईं  राम


कंधे पे लटका के झोली,
चलता एक फकीर है,
सुख-दुःख सबके देख रहा है,
बदल रहा तकदीर है |
द्वारकामाई में धूनी रमा के 
       रहता है यह संत
उदी खिला के,तन पे लगा के,
     करे बिमारी का अंत

Thursday, 24 April 2014

श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 24

ॐ सांई राम

आप सभी को साँई रसोईं छतरपुर की ओर से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं , हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है |

हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं जी के कमल चरणों में क्षमा याचना अर्पण करते है।
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 24
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श्री साई बाबा का हास्य विनोद, चने की लीला (हेमाडपंत), सुदामा की कथा, अण्णा चिंचणीकर और मौसीबाई की कथा ।
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Wednesday, 23 April 2014

मेरे साईं सा नहीं कोई दूजा इस जग में

 ॐ सांई राम


मेरे साईं सा नहीं कोई दूजा इस जग में
जो हर ले सब का दुःख अपने में
जहाँ भी देखू अपने साईं को पाऊ
अपने मान-चित को बस साईं में समाऊ
हे मेरे साईं रहम नज़र कर दे
खुशिया मेरी झोली में भर दे

अब ना देर कर मेरे साईं
हाथ पसारे खड़ी हु साईं
तेरी एक रहम नज़र का इशारा
बदल देंगा मेरा जीवन सारा
मेरे साईं सा नहीं कोई दूजा इस जग में
जो हर ले सब का दुःख अपने में

Tuesday, 22 April 2014

मेरे दर्द की दवा तुम हो

ॐ साईं राम 



 क्या गुण गाऊं मैं तेरे बाबा
 
तुम ही बसे हो दिल में मेरे 
मेरे प्यार की इन्तहा तुम हो 
मेरे दर्द की दवा तुम हो 
मेरे दिल की धड़कन तुम हो 
मेरी राह की मंजिल तुम हो 
मेरी आँखों का नशा तुम हो 
मेरे चेहरे की हंसी तुम हो 
मेरी रूह की प्यास तुम हो 
बस तुम ही तुम बसे हो बाबा 
मेरे जीवन के हर रंग मे तुम हो

Monday, 21 April 2014

दूर खड़ा तू देख रहा

ॐ साईं राम

साईं की महिमा


दूर खड़ा तू देख रहा
सबके मन का भाव
पल भर में तू कर दे
पूरी मन की आस

आस बन जाती 

दिल का एक अरमान
दिन की शुरुवात होती
लेकर तेरा नाम

तेरा नाम जप कर
दिल हो जाए मालामाल
तेरी किरपा से
खुल जाए स्वर्ग के दरबार

हर दरबार की चादर में
जड़े हुए है हीरे मोती
जिसकी चमक से
मिल जाती मन को मुक्ति

मन की मुक्ति पाकर
मिल जाए साईं का आशीष
आत्मा तृप्त हो जावे
मिल जावे दिल को आराम

दिल का आराम पाकर 

धन्य हो जावे जीवन 
जिसकी करूणा कथा को पढ़कर 
दिल हो जावे बेकरार 

बेकरार दिल एक ही गाथा गावे 
जय साईंराम, जय-जय साईंराम

Sunday, 20 April 2014

अक्सर, बाबा जी रातों में मुझे हंसाते हैं

ॐ साईं राम


कभी कभी बाबा जी मुझे सारी रात जगाते हैं
जागते हुए मुझे वे कईं ख्वाब दिखाते हैं
खवाबों में ही फिर बाबा मुझे उलझाते हैं
परीक्षा लेने को मेरी, प्रलोभन दे कर ललचाते हैं
दिल और दिमाग, मुझे दो-धारी तलवार पर चलाते हैं
तब, मेरे खूब उलझ जाने पर बाबा मंद-मंद मुस्कराते हैं
जाने कैसी कैसी लीला करते हैं और दिखाते हैं
अक्सर, बाबा जी रातों में मुझे हंसाते हैं


हजारों फूल लगते हैं एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीप लगते हैं एक आरती सजाने के लिए,
मगर एक "सद्गुरु-साईनाथ" काफी हैं,
ज़िन्दगी को जन्नत बनाने के लिए"

गुरूवार का, मेरे बाबा का दिन आया...
मन में फिर, एक नयी आस ले कर आया...
सच्चे मन से जिस ने बाबा को भी ध्याया....
उसी ने मेरे बाबा को पाया.....
 

Saturday, 19 April 2014

दीपक एक जलाना साथी

ॐ सांई राम



दीपक एक जलाना साथी
गुमसुम बैठ न जाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!
सघन कालिमा जाल बिछाए
द्वार-देहरी नज़र न आए
घर की राह दिखाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी
घर औ' बाहर लीप-पोतकर
कोने-आंतर झाड़-झूड़कर
मन का मैल छुड़ाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!
एक हमारा, एक तुम्हारा
दीप जले, चमके चौबारा
मिल-जुल पर्व मनाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!
आ सकता है कोई झोंका
क्योंकि हवा को किसने रोका?
दोनों हाथ लगाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!

Friday, 18 April 2014

बाबा ने दिवाली पर पानी से दिए जलाए

ॐ सांई राम

बाबा ने दिवाली पर पानी से दिए जलाए

श्री साईं बाबा संध्या समय गाँव में जा कर दुकानदारों से भिक्षा में तेल मांगते और मस्जिद में दिए जलाया करते थे | सन 1892  दिवाली के दिन बाबा गाँव के दुकानदारों से तेल मांगने गए लेकिन वाणी (तेल देने वालों) ने तेल देने से मना कर दिया | सभी दुकानदारों ने आपस में यह निश्चित किया था की वह बाबा को भिक्षा में तेल न दे कर अपना महत्व दर्शाएंगे | अहंकार से भरकर उन्होंने यह भी कहा की देखते है बाबा ! आज किस प्रकार मस्जिद में दिए जलाते है ? अत: बाबा को खाली हाथ ही मस्जिद में लौटना पड़ा | कुछ समय पश्चात ही सभी दुकानदार एवं गाँव के कुछ लोग मस्जिद में गए और उन्होंने देखा :-


"बाबा के टीन में पिछले दिन का कुछ तेल था | उन्होंने मस्जिद में रखे घड़े से पानी टीन में डाला और तेल में मिला दिया | उन्होंने वह तेल - मिश्रित पानी अपने मुहं में पीया और पुन: टीन में उलट दिया | वह पानी उन्होंने मस्जिद में रखे दीयों में डाल दिया और बातीं लगा कर दियें जला दिए | 



आश्चर्य ! पानी के दिए सारी रात जले | यह देख कर सभी दुकानदारों ने बाबा से क्षमा - याचना की एवं प्रतिदिन उन्हें स्वयं ही तेल देने लगे |"