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Sunday, 29 July 2012

सांई नाथ अनमोल खजाना जिन चाहा तिन पाया


ॐ सांई राम



तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
सांई नाथ अनमोल खजाना जिन चाहा तिन पाया


तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
सांई नाथ अनमोल खजाना जिन चाहा तिन पाया
तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
सांई राम सांई राम सांई राम सांई राम..........

झूठे बेर सांई ने खाये लक्ष्मण कितने सकुचाये
शबरी के मन प्रीत है कितनी लक्ष्मण समझ ना पाये
सांई राम सांई राम सांई राम सांई राम..........
तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
शिरडी में बाबा शिव आये अवतारी सांई कहलाये
बाबा तेरे रुप है कितने भक्ति बिना कोई समझ ना पाये
सांई राम सांई राम सांई राम सांई राम..........
तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
सांई राम अनमोल खजाना जिन चाहा तिन पाया
तन में राम, मन में राम, रोम रोम में राम समाया
सांई राम सांई राम सांई राम सांई राम..........


भूख प्यास जब तुम्हे सताये
ज़ीव जंतु को भी ध्यान मे लाये
भोजन जल यदि भोग लगाये
थोड़ा उनके लिये बनाये
खाये पियेंगे वे जब आप खिलाये
बाबा जी के मन को भी आप भाये।

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