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Tuesday, 18 September 2012

हज़ारों भक्त इस दर पर मुक़द्दर आज़माते हैं

ॐ सांई राम

हज़ारों भक्त इस दर पर मुक़द्दर आज़माते हैं
ज़माने भर के ठुकराये यहीं पे चैन पाते हैं
बोलो जय साईं राम बोलो जय साईं राम


जिन्हें मिलती रही नफरत सदा अपने पराये से
जिनको खौफ रहता था हमेशा अपने साये से
तेरे दीदार से उनके सभी गम छूट जाते हैं 
ज़माने भर के ठुकराये यहीं पे चैन पाते हैं
बोलो जय साईं राम बोलो जय साईं राम

यही दरबार सच्चा है यहाँ अमृत बरसता है
यहाँ इक बार जो आये नसीब उसका सवरता है
यहाँ बेबस लाचारों के भले दिन लौट आते हैं
ज़माने भर के ठुकराये यहीं पे चैन पाते हैं
बोलो जय साईं राम बोलो जय साईं राम

साईं हर दिल में बसते हैं यही घर घर नज़ारा है
नहीं छोटा बड़ा कोई साईं सब का सहारा है
यह वो दर है जहाँ पे लोग अपने गम भुलाते हैं
ज़माने भर के ठुकराये यहीं पे चैन पाते हैं
बोलो जय साईं राम बोलो जय साईं राम

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