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Sunday, 9 September 2012

साई सुन न सकोगे

ॐ सांई राम
 
मैं कैसे मनाऊँ, रंग रलिए
जब दिल के ही तार ना साज़ है
साई सुन ना सकोगे, मेरी दास्ताँ
मेरे आत्मा की आवाज़ है,

हम तडपे और तुम ना तडपो
ऐसा कभी ना, हो सकता, सेवक तुम्हारा, तुमसे बिछड़कर
चैन कभी ना पा सकता,
तेरी लीला की जग मैं क्या बात है
तेरे भक्तो की लाज तेरे हाथ है,
साई सुन न सकोगे ...........

शरण तुम्हारे, जो ही आया है,
उसका बेडा पार किया, निराधार को
इस दुनिया मैं, तुमने ही आधार दिया
तेरी शक्ति पे हमे बड़ा नाज़ है
तेरे बन्दों का तू ही सरताज है
साई सुन न सकोगे ...........

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