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Saturday, 10 November 2012

साईं वाणी (भाग 4)

ॐ सांई राम

साईं वाणी (भाग 4)

साईं नाम सुधा रस सागर, साईं नाम ज्ञान गुण आगर |
साईं नाम जप तेज सामान, महा मोह तम हरे अज्ञान ||

साईं नाम धुन आनंद नाद, नाम जपे मन हो विस्माद |
साईं नाम मुक्ति का दाता, ब्रह्मधाम वह खुद पहुँचाता ||

हाथ से करिये साईं का कार, पग से चलिए साईं दे द्वार |
मुख से साईं सुमिरन करिये, चित्त सदा चिन्तन में धरिये ||

कानों से यश साईं का सुनिये, साईं धाम का मार्ग चुनिये |
साईं नाम पढ़ अमृतवाणी, साईं नाम धुन सुधा समानी ||

आप जपो औरों को जपावो, साईं धुनी को मिलकर गावो |
साईं नाम का सुन कर गाना, मन अलमस्त बने दीवाना ||

पल पल उठे साईं तरंग, चढ़े नाम का गूढ़ा रंग |
साईं कृपा है उच्चतर योग, साईं कृपा है शुभ संयोग ||

साईं कृपा सब साधन मर्म, साईं कृपा सयम सत्य धर्मं |
साईं नाम का मन में बसाना, सुपथ साईं कृपा का है पाना ||
 
मन में साईं धुन जब फिरे, साईं कृपा तब ही अवतरे |
रहूँ मैं साईं नाम में लीन, जैसे जल में मीन अदीन ||

साईं नाम को सिमरिये, साईं साईं इक तार |

परम पाठ पावन परम, करता भाव से पार ||

===ॐ  साईं  श्री  साईं  जय जय  साईं===

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