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Friday, 5 July 2013

एक दिन होगा हर घड़ा मिट्टी







बस यही दे रही सदा मिट्टी
एक दिन होगा हर घड़ा मिट्टी


एक दिन खुद-ब-खुद ये होना हैं
तुम तो मिट्टी में मत मिला मिट्टी


रौंदता हैं कुम्हार मिट्टी को
उसको रौंदेगी देखना मिट्टी


जाने कितनी दफा मिले बिछड़े
... आग पानी फलक हवा मिट्टी


कैसी मुर्दा परस्त हैं दुनिया
मर के पाती है मरतबा मिट्टी


जिस्म हमको दिया हैं मिट्टी ने
माँग लेगी दिया हुआ मिट्टी


बस यही दे रही सदा मिट्टी
एक दिन होगा हर घड़ा मिट्टी


सौजन्य- साँईं का हन्नी

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