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Monday, 14 April 2014

आस लेके साँई तेरे दर पे आ रहा हूं

ॐ साईं राम


तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं
 
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूं
 
तुम सबके राज़दां हो हर दिल की जानते हो
 
फ़िर भी ये हाले दिल मैं तुमको सुना रहा हूं
 
मुझसे सहा न जाये अब ग़म ये ज़िन्दगी का
 
नन्हीं सी जाँ पे कैसे सदमे उठा रहा हूं
 
जब तक रहूं मैं ज़िन्दा इज़्ज़त की भीख़ देना
 
ये आस लेके साँई तेरे दर पे आ रहा हूं
 
दीदार की तलब से हाज़िर हुआ है बन्दा
 
मुद्द्त से मेरे साँई तेरे दर पे आ रहा हूं
 
तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं

जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूं 

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