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Wednesday, 16 April 2014

कल रात सपना यह मुझको आया

ॐ साईं राम 


सुना है शिर्डी में एक फ़कीर आया था
सबके लिए खुशियों की सौग़ात लाया था
जन्म का उसके पता नहीं था
नीम के नीचे प्रकट हुआ था
महल्सापति बोले आओ साईं
तब से नाम पड़ा यह साईं
नीम  के पत्ते उसने मीठे बनाए
उसके रस से कष्ट मिटाए
बाइजाबाई को माँ बताया 
कोते पाटिल को पिता बताया
तात्या जी को भाई बनाया 
ऐसा परिवार था उसने पाया 
खंडहर को द्वारका बतलाया 
यही स्थान था उसको भाया 
और कहा यह मेरी माई 
तब से द्वारकामाई कहलाई 
द्वारकामाई में धूनी रमाई 
ध्यान से सुनो सब बहन-भाई
जो इस धूनी की उदी को खाता 
साईं बोल के तन पर लगाता 
कोई कष्ट न उस पर आता 
रोग छोड़ स्वस्थ हो जाता 
सब औषधियों का बाप यही है 
बाबा ने यही महिमा कही है 
पानी से थे दीप जलाए 
बनियों के घमंड तुडाए
कुछ लोग थे उस से जलते
दिन-रात उसका अहित सोचते 
उनको भी इंसान बनाया 
पग-पग पर चमत्कार दिखाया 
"श्रद्धा-सबूरी" का पाठ पढ़ाया 
सबका मालिक एक बताया 
शिर्डी को परिपूर्ण बनाया 
कल रात सपना यह मुझको आया 
वही लिखा जो साईं ने लिखवाया
 
सबका मालिक एक वही है क्यों उसको बिसराओ रे 
नफरत की दीवार तोड़ कर सब को गले लगाओ रे

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