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Sunday, 20 July 2014

श्री साईं लीलाएं- बाबा को खुशहालचंद की चिंता

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. तात्या और म्हालसापति को बाबा का सानिध्य      

श्री साईं लीलाएं
बाबा को खुशहालचंद की चिंता
शिरडी से कुछ दूरी पर रहाता गांव थावहां खुशालचंद नाम का एक साहूकार रहता थाबाबा इससे भी तात्या जितना प्रेम किया करते थेवह जाति से मारवाड़ी थाउसके चाचा चंद्रभान पर भी बाबा का बड़ा प्रेम थाउनसे मिलने के लिए बाबा कई बार उनके गांव खुद चले जाते थे|
बाबा कभी-कभी अकेले और कभी अपने भक्तों के साथ बैलगाड़ी में तो कभी तांगे में बैठकर रहाता चले जातेजैसे ही बाबा गांव की सीमा पर पहुंचतेरहाता ग्रामवासी उनका अभूतपूर्व स्वागत करते और बड़ी धूमधाम से उन्हें गांव के अंदर ले जातेवहां से खुशालचंद बाबा को घर ले जातेआसन पर बैठाकर उत्तम भोजन करातेफिर काफी समय तक वह बाबा से वार्तालाप करतेइस वार्तालाप के दौरान वहां उपस्थित सभी भक्तों को बहुत आनन्द आताबाद में बाबा सबकी अपना आशीर्वाद देकर शिरडी लौट आते थे|
खुशालचंद भी अक्सर साईं बाबा से मिलने के लिए शिरडी आता थाएक समय जब वह बहुत दिनों तक शिरडी नहीं आया तो बाबा ने उसे बुलाने के लिए हरीसिंह दीक्षित को तांगे के साथ भेजाजब दीक्षित ने उसे जानकारी दी कि बाबा ने उसे लाने के लिए तांगा देकर भेजा है तो यह सुनते ही उसकी आँखों में आँसू आ गये और वह तुरंत उसके साथ शिरडी आया
|कल चर्चा करेंगे..बाबा की आज्ञा का पालन अवश्य हो         


ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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