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Friday, 25 July 2014

श्री साईं लीलाएं - कतलियां कहां हैं?

ॐ सांई राम






परसों हमने पढ़ा था.. प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ


श्री साईं लीलाएं

कतलियां कहां हैं?

बांद्रा निवासी रघुवीर भास्कर पुरंदरे साईं बाबा के परम भक्त थेजो अवसर शिरडी जाते रहते थेजब वे एक अवसर पर शिरडी जा रहे थे तो श्रीमती तर्खड (जो उस समय बांद्रा में ही थीं) ने श्रीमती पुरंदरे को दो बैंगन देते हुए उनसे विनती की की वे शिरडी में पहुचंकर साईं बाबा को एक बैंगन का भुर्ता और दूसरे बैंगन की कतलियां (घी में तले बैंगन के पतले टुकड़े) बनाकर बाबा को अर्पण कर देंयह बाबा को बहुत पसंद हैं|शिरडी पहुंचने पर श्रीमती पुरंदरे भुर्ता बनाकर मस्जिद में थाली ले गयींवहां दूसरे लोगों के साथ उन्होंने भी अपनी थाली रखी और वापस अपने ठहरने की जगह पर लौट आयींजब बाबा दोपहर को सब चीजें इकट्ठा करके खाने बैठे तो उन्हें भुर्ता बहुत स्वादिष्ट लगाभुर्ता खाते हुए उनकी कतलियां खाने की इच्छा हुई तो बाबा ने भक्तों से कतलियां लाने को कहासामने बैठे भक्त सोचने लगेइस इलाके में तो बैंगन का मौसम नहीं हैफिर बैंगन कहां से लाएं फिर सोचा कि जिन्होंने भुर्ता बनाया है उनके पास और बैंगन भी हो सकते हैं|तब पता चला कि पुरंदरे की पत्नी बैंगन का भुर्ता आयी थींतब उन्हें कतलियां बनाने को कहा तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआउन्होंने गलती के लिए माफी मांगकर कतलियां तलकर परोसींतब साईं बाबा ने भोजन कियासाईं बाबा का भक्तों के प्रति प्यार और उनकी सर्वज्ञता देखकर सभी भक्त बहुत आश्चर्यचकित हुए|


कल चर्चा करेंगे..मेरा पेड़ा मुझे दो


ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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