ॐ सांई राम
जब से पकडे चरण साई के
मन बुद्धी को छोड दिया .
खुद को कर के उसके अर्पण
अपनी खुदी को छोड दिया ..
साई चरण की मस्ती देखो
चारो ऑर खुमारी हैं .
इस संगत का हर मत्वाला
साई कि जिम्मेदारी हैं .
जिसने देखा घर साई का
अपनी गली को छोड दिया ..
खुद को करके .......
सब सोचत हैं हम साई से
मिलने-मिलाने आये हैं .
हम जानत हैं इसी बहाने
जान चढाने आये हैं .
इस कारण से हर जंगल को,
हर बस्ती को छोड दिया ..
खुद को करके .......
यहां कोई कमजोर नही हैं
यहां कोई मजबूर नहीन .
बीच सफर मैं रह जायेगा
जिसने जी को छोड दिया ..
खुद को करके .......
मन बुद्धी को छोड दिया .
खुद को कर के उसके अर्पण
अपनी खुदी को छोड दिया ..
साई चरण की मस्ती देखो
चारो ऑर खुमारी हैं .
इस संगत का हर मत्वाला
साई कि जिम्मेदारी हैं .
जिसने देखा घर साई का
अपनी गली को छोड दिया ..
खुद को करके .......
सब सोचत हैं हम साई से
मिलने-मिलाने आये हैं .
हम जानत हैं इसी बहाने
जान चढाने आये हैं .
इस कारण से हर जंगल को,
हर बस्ती को छोड दिया ..
खुद को करके .......
यहां कोई कमजोर नही हैं
यहां कोई मजबूर नहीन .
बीच सफर मैं रह जायेगा
जिसने जी को छोड दिया ..
खुद को करके .......
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