You are visitor No.

शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Sunday, 14 July 2013

श्री गुरु अर्जन देव जी जीवन-परिचय


श्री गुरु अर्जन देव जी जीवन-परिचय




Parkash Ustav (Birth date): April 15, 1563, at Goindwal in Distt. Amritsar, Punjab. 
प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 15 अप्रैल 1563, जिला में गोइंदवाल में. अमृतसर, पंजाब.

Father: Guru Ramdas ji 
पिता: गुरु रामदास जी


Mother: Bibi Bhani ji 
माँ: बीबी भानी जी


Sibling: Prithi chand, Mahadev (brothers) 
सहोदर: प्रीथी चंद, महादेव (भाई)


Mahal (spouse): Mata Ganga ji D/o Krishen Chand, Meo village, Distt. Jullandhar 
महल (पति या पत्नी): माता गंगा जी पुत्री कृष्ण चंद, मेव गांव, जिला. जालंधर


Sahibzaday (offspring): Hargobind ji 
साहिबज़ादे (वंश): हरगोबिंद जी


Joti Jyot (ascension to heaven): May 30, 1606 
ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 30 मई 1606


रामदासि गुरु जगत तारन कउ गुरु जोति सु अर्जन माहि धरी||

श्री गुरु अर्जन देव जी का जन्म 18 वैशाख 7 संवत 1620 को श्री गुरु राम दास जी के घर बीबी भानी जी की पवित्र कोख से गोइंदवाल अपने ननिहाल घर में हुआ|

आप अपने ननिहाल घर में ही पोषित और जवान हुए| इतिहास में लिखा है एक दिन आप अपने नाना श्री गुरु अमर दास जी के पास खेल रहे थे तो गुरु नाना जी के पलंघ को आप पकड़कर खड़े हो गए| बीबी भानी जी आपको ऐसा देखकर पीछे हटाने लगी| गुरु जी अपनी सुपुत्री से कहने लगे बीबी! यह अब ही गद्दी लेना चाहता है मगर गद्दी इसे समय डालकर अपने पिताजी से ही मिलेगी| इसके पश्चात गुरु अमर दास जी ने अर्जन जी को पकड़कर प्यार किया और ऊपर उठाया| आपजी का भारी शरीर देखकर वचन किया जगत में यह भारी गुरु प्रकट होगा| बाणी का जहाज़ तैयार करेगा और जिसपर चढ़कर अनेक प्रेमियों का उद्धार होगा| इस प्रथाए आप जी का वरदान वचन प्रसिद्ध है-
"दोहिता बाणी का बोहिथा||"



बीबी भानी जी ने जब पिता गुरु से यह बात सुनी तो बालक अर्जन जी को उठाया और पिता के चरणों पर माथा टेक दिया| इस तरह अर्जन देव जी ननिहाल घर में अपने मामों श्री मोहन जी और श्री मोहरी जी के घर में बच्चों के साथ खेलते और शिक्षा ग्रहण की|

जब आप की उम्र 16 वर्ष की हो गई तो 23 आषाढ़ संवत 1636 को आपकी शादी श्री कृष्ण चंद जी की सुपुत्री गंगा जी तहसील फिल्लोर के मऊ नामक स्थान पर हुई| आप जी की शादी के स्थान पर एक सुन्दर गुरुद्वारा बना हुआ है| इस गाँव में पानी की कमी हो गई थी| आपने एक कुआं खुदवाया जो आज भी उपलब्ध है|

No comments:

Post a Comment