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Monday, 27 August 2012

प्यारे बाबा आज तुम्हारी मस्जिद इक कोने में, बैठने को जी करता है

ॐ सांई राम

प्यारे बाबा आज तुम्हारी मस्जिद इक कोने में, बैठने को जी करता है
तुम्हारे सामने बैठ के तुम्हारे पावन चरणों में बस रोने को जी करता है

कभी कभी ये सोचता हूँ बहुत दिया है तुमने तो, फिर भी ये जीवन मेरा क्या चाहता है पाने को
प्यारे बाबा बस यह तुमसे जानने को जी करता है, जानने को जी करता है

मैंने अभी तक जीवन में क्या खोया है क्या पाया है, यह दिल कभी क्या आपकी याद में भी रोया है
अपने किये कर्मो को तोलने को जी करता है, तोलने को जी करता है

बरसों से सो रहा था बाबा तुमने जगाया है, तुम्हारे नाम का सिमरन मुझसे दिन रात कराया है
प्यारे बाबा रात दिन दर्शन को जी करता है, दर्शन को जी करता है

अब मुझपर भी तुम अपनी कृपा की बरखा बरसा दो, मुझे भी अपने प्यार में तुम जीना तो सिखला दो
श्रद्धा और सबुरी से आपकी हजूरी में, बस रहने को जी करता है

प्यारे बाबा आज तुम्हारी मस्जिद इक कोने में, बैठने को जी करता है
तुम्हारे सामने बैठ के तुम्हारे पावन चरणों में बस रोने को जी करता है

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