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Sunday, 16 September 2012

जोगिया बनके ए माई तेरे दर आया है साईं

ॐ सांई राम
 जोगिया बनके ए माई तेरे दर आया है साईं
ये उनका रूप अनोखा है तेरी नज़रों का धोखा है
उसे पहचान नहीं पाई तेरे दर आया है साईं
जोगिया बनके ए माई तेरे दर आया है साईं

उनका तो सबसे नाता है, दीं दुखियो के दाता हैं
तुझको खुशहाल बना देंगे, वो मालामाल बना देंगे
छटेगी बदली जो छाई, तेरे दर आया है साईं

ईंट के तकिये को लेकर, नीम के नीचे सोया है
तेरी तकदीर बनाने को, छोड़ के शिर्डी आया है
दरस है उनका सुखदायी, तेरे दर आया है साईं

वो अपनी धुन में रहता है. साईं-साईं ही कहता है
बदन है कंचन-कंचन, जो करदे मिटटी को कुंदन
तेरी आँखें क्यूँ भर आई, तेरे दर आया है साईं

अश्वनी राह बुहारेगा, अपनी तकदीर सवारेगा
यही हमसर की बानी है, यही पंडित की कहानी है
पादुका साईं की आई, तेरे दर आया है साईं

जोगिया बनके ए माई तेरे दर आया है साईं
ये उनका रूप अनोखा है तेरी नज़रों का धोखा है
उसे पहचान नहीं पाई तेरे दर आया है साईं
जोगिया बनके ए माई तेरे दर आया है साईं

ॐ साईं राम !!!

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