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Wednesday, 10 October 2012

कोई ये न पूछे, कहाँ तक चलेंगे

ॐ सांई राम
 कोई ये न पूछे, कहाँ तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

 
कोई कितना सोचे, कोई कितना भागे
न इक मोड़ पीछे, न इक मोड़ आगे
ये सब नक्लो हरक़त, वहीँ तक चलेगी
अगर लोग तेरे मकाँ तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

बहुत रौशनी है, तेरे रास्ते पर
बहुत शान्ति है, तेरे रास्ते पर
तेरी रहबरी के उजाले में आकर
ज़ुबां वाले क्या, बेज़ुबां तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

न ये ख़त्म होगा, अगर खेल तेरा
ज़मीं पर न होगा, अगर मेल तेरा
कभी न थकेंगे, तेरी जुस्तजू में
तेरी खोज में हम, आसमां तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

तेरे आदमी ने, कयामत ये ढाई
कयामत से पहले, कयामत दिखाई
बहुत हो चुकी है, यहाँ क़तलोगारत
ये तीर लेकिन, कहाँ तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

कोई ये न पूछे, कहाँ तक चलेंगे
चलाएँगे साईं, वहाँ तक चलेंगे

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