ॐ सांई राम
यह सौंप दिया सारा जीवन, साईंनाथ तुम्हारे चरणों में|
अब जीत तुम्हारे चरणों में, अब हार तुम्हारे चरणों में||
मैं जग में रहूं तो ऐसे रहूं, ज्यों जल में कमल का फूल रहे|
मेरे अवगुण दोष समर्पित हों, हे नाथ तुम्हारे चरणो में||
अब सौंप दिया...
मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें मैं पा जाऊं|
अर्पित कर दूं दुनियाभर का सब प्यार तुम्हारे चरणों में||
अब सौंप दिया...
जब-जब मानव का जन्म मिले, तब-तब चरणों का पुजारी बनूं|
इस सेवक की एक-एक रग का हो तार तुम्हारे हाथ में||
अब सौंप दिया...
मुझमें तुमसें भेद यही, मैं नर हूं, तुम नारायण हो|
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे चरणों में||
अब सौंप दिया...
अब जीत तुम्हारे चरणों में, अब हार तुम्हारे चरणों में||
मैं जग में रहूं तो ऐसे रहूं, ज्यों जल में कमल का फूल रहे|
मेरे अवगुण दोष समर्पित हों, हे नाथ तुम्हारे चरणो में||
अब सौंप दिया...
मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें मैं पा जाऊं|
अर्पित कर दूं दुनियाभर का सब प्यार तुम्हारे चरणों में||
अब सौंप दिया...
जब-जब मानव का जन्म मिले, तब-तब चरणों का पुजारी बनूं|
इस सेवक की एक-एक रग का हो तार तुम्हारे हाथ में||
अब सौंप दिया...
मुझमें तुमसें भेद यही, मैं नर हूं, तुम नारायण हो|
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे चरणों में||
अब सौंप दिया...
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