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Friday, 21 February 2014

अगर छोड बैठू में दामन तुम्हारा

ॐ साईं राम


 अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
 
मुझे फिर किसी की ज़रूरत नहीं है |
 
बिठाले अगर अपने चरणो में हर दम
 
किसी भी ख़ुशी की ज़रूरत नहीं है ||
 
ये फूलों कि दुनिया, ये खारों की दुनिया
 
ये लालच में भटके विचारों की दुनिया |
 
अगर पी सकूँ साईं मस्ती का अमृत
 
किसी बेखुदी की ज़रूरत नहीं है ||
 
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
 
मुझे फिर किसी की ज़रुरत नहीं ||
 
दया कि है तुमने तो, हर बार कर दो
 
मेरी ज़िन्दगी पे ये उपकार कर दो |
 
अगर छोड बैठू में दामन तुम्हारा

तो इस ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं है ||

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