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Saturday, 22 February 2014

बांह पकड़ ले शिर्डी वाले

ॐ साईं राम
डूब रही है मेरी कश्ती बीच मझधार रे 
बांह पकड़ ले शिर्डी वाले ओ मेरी सरकार रे
नहीं दिया मुझे किसी ने सहारा आया तेरे द्वार रे
जीवन है एक ऐसी नैया जिसका तू है साईं खिवेइया
थाम ले मेरी डूबती कश्ती की तू आके पतवार रे
सबको तुने भव से तारा मुझको भी तू तार रे
नीम के नीचे डेरा लगाया शिर्डी को तुने स्वर्ग बनाया
अपने गुरु का मान बढाकर किया उसका सत्कार रे
पानी से तुमने दीप जलाए किया ऐसा चमत्कार रे
डूब रही है मेरी कश्ती बीच मझधार रे
बांह पकड़ ले शिर्डी वाले ओ मेरी सरकार रे

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