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Monday, 17 March 2014

तेरा दामन छोडू कैसे

ॐ सांई राम

फूल भरे है दामन दामन
लेकिन वीरान गुलशन गुलशन
अक्ल की बातें करने वाले
क्या समझेगे दिल की धड़कन
कौन किसी के दुःख का साथी
आपने आसू अपना दामन
सांई,तेरा दामन छोडू कैसे
मेरी दुनिया तो बस तेरा दामन

जय सांई राम!!!

 मेरे बाबा तेरी रहमत की भीख मांगते हैं हम
मेहरबान कोई न तुझ सा है यह भी जानते हैं हम
 एक बस तू ही सुनने वाला है फ़रियाद टूटे हुए दिल की
झुकाया सर जो सजदे में,हो गयीं ये आँखें नम
ख़ुशी में भूल जाते हैं,मिले लेकिन जो ग़म कोई
दामन फैला कर तेरे दर पर चले आते हैं हम
सुना है बिन मांगे मिलता है दरबार-ए-इलाही में
कैसे जायेंगे भला हो के मायूस तेरे घर से हम
कहाँ जाएँ तेरे बन्दे न हो तू यूं ख़फा हमसे
  " हिमेंद्र " हैं गुनाहों पर, तू करदे अब उस पे करम

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