फकीर हूँ, न तो मेरे स्त्री ही है और न घर-द्वार ही । सब चिंताओं को त्याग कर, मैं एक ही स्थान पर रहता हूँ । फिर भी माया मुझे कष्ट पहुँचाया करती हैं । मैं स्वयं को तो भूल चुका हूँ, परन्तु माया को कदापि नहीं भूल सकता, क्योंकि वह मुझे अपने चक्र में फँसा लेती है । श्रीहरि की यह माया ब्रहादि को भी नहीं छोड़ती, फिर मुझ सरीखे फकीर का तो कहना ही क्या हैं । परन्तु जो हरि की शरण लेंगे, वे उनकी कृपा से मायाजाल से मुक्त हो जायेंगे । इस प्रकार बाबा ने माया की शक्ति का परिचय दिया । भगवान श्रीकृष्ण भागवत में उदृव से कहते कि सन्त मेरे ही जीवित स्वरुप हैं और बाबा का भी कहना यही था कि वे भाग्यशाली, जिनके समस्त पाप नष्ट हो गये हो, वे ही मेरी उपासना की ओर अग्रसर होते है, यदि तुम केवल साई साई का ही स्मरण करोगे तो मैं तुम्हें भवसागर से पार उतार दूँगा । इन शब्दों पर विश्वास करो, तुम्हें अवश्य लाभ होगा । मेरी पूजा के निमित्त कोई सामग्री या अष्टांग योग की भी आवश्यकता नहीं है । मैं तो भक्ति में ही निवास करता हूँ ।
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शिर्डी से सीधा प्रसारण ,...
"श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ...
के सौजन्य से...
सीधे प्रसारण का समय ...
प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ...
सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को
ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन
नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,...
हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है।
...ॐ साँई राम जी...
Wednesday, 22 August 2012
माया की शक्ति का परिचय
फकीर हूँ, न तो मेरे स्त्री ही है और न घर-द्वार ही । सब चिंताओं को त्याग कर, मैं एक ही स्थान पर रहता हूँ । फिर भी माया मुझे कष्ट पहुँचाया करती हैं । मैं स्वयं को तो भूल चुका हूँ, परन्तु माया को कदापि नहीं भूल सकता, क्योंकि वह मुझे अपने चक्र में फँसा लेती है । श्रीहरि की यह माया ब्रहादि को भी नहीं छोड़ती, फिर मुझ सरीखे फकीर का तो कहना ही क्या हैं । परन्तु जो हरि की शरण लेंगे, वे उनकी कृपा से मायाजाल से मुक्त हो जायेंगे । इस प्रकार बाबा ने माया की शक्ति का परिचय दिया । भगवान श्रीकृष्ण भागवत में उदृव से कहते कि सन्त मेरे ही जीवित स्वरुप हैं और बाबा का भी कहना यही था कि वे भाग्यशाली, जिनके समस्त पाप नष्ट हो गये हो, वे ही मेरी उपासना की ओर अग्रसर होते है, यदि तुम केवल साई साई का ही स्मरण करोगे तो मैं तुम्हें भवसागर से पार उतार दूँगा । इन शब्दों पर विश्वास करो, तुम्हें अवश्य लाभ होगा । मेरी पूजा के निमित्त कोई सामग्री या अष्टांग योग की भी आवश्यकता नहीं है । मैं तो भक्ति में ही निवास करता हूँ ।
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