ॐ सांई राम
पत्थर पर बैठे है मेरे साँई बाबा
यही पर है काशी, मथुरा और काबा
सबका है दाता, साँई भाग्य विधाता
हाथ मे कांसा और फता लिबासा
तेरा यही रूप साँई हमें है रिझाता
यही पर है काशी, मथुरा और काबा
पत्थर पर बैठे है मेरे साँई बाबा
अपने बच्चो को तुने, दिया आशियाना
नीम को बनाया तुने, अपना ठिकाना
तेरी इसी सादगी का, हुआ मै दीवाना
यही पर है काशी, मथुरा और काबा
पत्थर पर बैठे है, मेरे साँई बाबा
कैसे मैं सुनाँऊ, मै तो बोल भी ना पाता
छोटी है ज़ुबान, ऊँची तेरी गाथा
बस ये पुकार मेरी, सुन लो ओ दाता
जन्म जन्म का साँई राखो, हमसे नाता
यही पर है काशी, मथुरा और काबा
पत्थर पर बैठे है मेरे साँई बाबा
भूख प्यास जब तुम्हे सताये
ज़ीव जंतु को भी ध्यान मे लाये
भोजन जल यदि भोग लगाये
थोड़ा उनके लिये बनाये
खाये पियेंगे वे जब आप खिलाये
बाबा जी के मन को भी आप भाये।
ज़ीव जंतु को भी ध्यान मे लाये
भोजन जल यदि भोग लगाये
थोड़ा उनके लिये बनाये
खाये पियेंगे वे जब आप खिलाये
बाबा जी के मन को भी आप भाये।
No comments:
Post a Comment