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Sunday, 18 August 2013

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ - शाहजहाँ के बेटे (दारा शिकोह) को स्वस्थ करना

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ





शाहजहाँ के बेटे (दारा शिकोह) को स्वस्थ करना

शाहजहाँ के बेटे का नाम दारा शिकोह था| शाहजहाँ अपने बड़े पुत्र को ताज़ देना चाहता था| परन्तु इसका तीसरा लड़का औरंगजेब अपने भाई से इर्ष्या करता था जिसके कारण औरंगजेब ने रसोइए की ओर से शेर की मूंछ का बल अथवा कोई जहरीली चीज़ खिला दी जिससे दारा शिकोह बीमार हो गया| बादशाह ने उसका बहुत इलाज़ करवाया परन्तु दारा शिकोह ठीक ना हुआ|

शाहजहाँ ने देश के सभी हकीमो को बुलाकर पूछा तब उन्होंने उसकी बीमारी को देखकर बताया कि एक लौंग जिसका वजन एक माशा हो ओर एक हरढ़ जुसका वज़न १४ सिरसाही हो रगड़कर कर शाहिजादे को दिए जाए तब शेर का बल अथवा कोई ऐसी जहरीली चीज़ बाहर निकाल आएगी और शाहिजादा स्वस्थ हो जाएगा| राजे ने वैसा ही किया जैसे हकीमो ने बोला था| बादशाह ने सारे देश में अपने आदमी भेजे परन्तु यह चीजे कहीं ना मिली| बादशाह चिंता में पड़ गए| तब वजीर खाँ ने बताया बादशाह! मुझे किसी सिख से पता चला है यह दोनों चीजे इस मात्र की गुरु नानक जी की गद्दी पर विराजमान गुरु हरि राय जी के पास हैं अगर आप चाहे तो उनसे मंगवा को|

बादशाह ने अपने दो अहिलकर गुरु जी के पास चिट्ठी देकर भेजे और प्रार्थना की कि यह दोनों चीजे दे दो आपकी बड़ी कृपा होगी| यह चिट्ठी पढ़कर गुरु जी ने अपने तोशेखाने में से हरढ़ और लौंग मँगवाकर उन्हें दे दी| जब यह दोनों चीजे रगड़कर हकीमो ने दारा शिकोह को दी तो वह थोड़े दिनों में ही स्वस्थ हो गया| बादशाह और उसके दरबारियों ने गुरु घर की बहुत महिमा की और उनकी प्रसन्नता का ठिकाना ना रहा|

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