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शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Sunday, 4 August 2013

श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – साखियाँ - घोड़े का इलाज़

श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – साखियाँ




घोड़े का इलाज़

शाहजहाँ घोड़े को देख कर बहुत खुश हो गया| उसकी सेवा व देखभाल के लिए उसने सेवादार भी रख लिया| परन्तु घोड़ा थोड़े ही दिनों में बीमार हो गया| उसने चारा खाना और पानी पीना छोड़ दिया| एक पाँव जमीन से उठा लिया और लंगड़ा होकर चलने लगा|

शाहजहाँ के स्लोत्री ने घोड़े को देखकर सलाह दी कि इसे जल्दी जी तबेले से बाहर निकाल दो| अगर इसे बाहर नहीं निकाला तो इसकी मुँह खुर की छूत वाली बीमारी से दूसरे घोड़ों के बीमार होने का डर है| बादशाह ने उसकी सलाह मानकर घोड़ा पने काजी रुस्तम खां को दे दिया| काजी घोड़ा लेकर बहुत खुश हुआ और इलाज करने लगा|

एक दिन भाई सुजान जी जो यह घोड़ काबुल से लाए थे उन्होंने यह घोड़ा काजी के पास देख लिया| उन्होंने गुरु जी को भी यह बताया कि घोड़ा काजी के पास है और कुछ बीमार भी लगता है| गुरु जी ने काजी को अपने पास बुलाया और घोड़ा खरीदने की बात की| उन्होंने कहा हम इसका दस हजार रुपया देंगे| इलाज करके हम इसे स्वस्थ भी कर लेंगे| काजी ने गुरु जी को घोड़ा बेच दिया|

गुरु जी ने घोड़े का इलाज अपने स्लोत्री से कराया| घोड़ा जल्दी ही स्वस्थ हो गया| वह घास दाना भी खाने लगा| उसने अपनी लंगडी टांग भी जमीन पर लगा दी| भाई सुजान को अपना घोड़ा स्वस्थ देखकर बहुत खुशी हुई| गुरु जी ने उसके ऊपर सुनहरी पालना डलवा कर जब सवारी की तो भाई सुजान जी कहने लगे, गुरु जी! अब मेरा मनोरथ पूरा हो गया है| आपने मेरी भावना पूरी कर दी है|

गुरु जी बोले भाई सुजान! तुम निहाल हो गए हो| तेरा प्रेम और श्रद्धा धन्य है| इस प्रकार भाई सुजान अपनी मनोकामना पूरी करके अपने देश काबुल चला गया|

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