अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
मुझे फिर किसी की ज़रूरत नहीं है |
बिठाले अगर अपने चरणो में हर दम
किसी भी ख़ुशी की ज़रूरत नहीं है ||
ये फूलों कि दुनिया, ये खारों की दुनिया
ये लालच में भटके विचारों की दुनिया |
अगर पी सकूँ साईं मस्ती का अमृत
किसी बेखुदी की ज़रूरत नहीं है ||
अगर हाथ रख दे मेरे सर पे साईं
मुझे फिर किसी की ज़रुरत नहीं ||
दया कि है तुमने तो, हर बार कर दो
मेरी ज़िन्दगी पे ये उपकार कर दो |
अगर छोड बैठू में दामन तुम्हारा
तो इस ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं है ||
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