हे साईनाथ हम सब भक्त अज्ञानी हैं मूर्ख हैं पापी हैं मोह माया में फसे गलतियों के पुतले हैं | हमें कुछ नहीं पता की हम क्या करें परन्तु जो भी हैं चाहे बुरे या अच्छे हैं चाहे सच्चे या झूठे हैं हम आपके बच्चे आपकी शरण में हैं, आपकी आज्ञा और आशीर्वाद के साथ | हमारा कोई नहीं है न इस दुनिया में और न इस दुनिया के बाद, न इस जीवन में और न इस जीवन के बाद | आप के बिना हम शून्य हैं हमारी कोई पहचान नहीं है | आप ही हमारा एकमात्र सहारा हो, हमारा विश्वास हो, हमारी सद्बुधि हो, हमारी हिम्मत हो, हमारे कर्म और कर्मों का फल हो, हमारी सुख और संपत्ति हो | हमारे सदगुरु हो, हमारे भगवान हो मालिक हो, और हमारी सर्वश्रेष्ठ सर्वोतम मंजिल हो | आपके सिवा कहाँ जाना है | आप हमारे हर कार्य करने वाले हो, हमारा तो केवल नाम है, यह नाम देने वाले भी आप ही हो | आप हमारे साथ हर पल हो, हमारे रक्षक हो, माता पिता हो, हर मुश्किल और बुराई लोभ, घमंड, मोह , माया, ईर्षा से बचाने वाले हो |जब आप हमारे साथ हर पल हो तो डरना क्यों, पर यह मन जो फिर भी भटकता रहता है इसे भी शांत कर के अपनी भक्ति में लगाने वाले आप हो | आप जो करते हो वो ही सत्य, अटल और सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि आप ही जानते हो की हमारे लिए आपके बच्चों और भक्तों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा | आप हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ,सर्वोतम और मोक्ष का रास्ता बनाते हो, रास्ता दिखाते हो, रास्ते पे चलना सिखाते हो और हाथ पकड़ कर चलाते भी हो | आप हमारी परीक्षा लेते हो और आप ही हमें परीक्षा में पास करते हो | आप ही अपने भक्तों बच्चों को मान सम्मान दिलाते हो और आप आपने भक्तों बच्चों का मान सम्मान बड़ाते भी हो | आप ही बुरे विचारों को मन से दूर् करके अच्छे विचारों को मन में घर कराते हो | आप ही हमें इस लायक बनाते हो कि हम जहाँ भी जाएँ सब को खुशियाँ दे सकेँ सब के काम आ सकें | आप ही हमें इस लायक बनाते हो कि शांत और सच्चे मन से आप की भक्ति करते रहें और दूसरों को भी शांत और सच्चे मन से भक्ति करने की प्रेरणा दे सकेँ | आप ही अपना स्थान बनाते हो , आप ही अपना सत्संग कराते हो और हमें अपनी सेवा में शामिल भी करते हो | आपकी आज्ञा और आशीर्वाद के बिना ना कोई शिर्डी आ सकता है और ना छोड़ सकता है | आपकी आज्ञा और आशीर्वाद हमारे साथ सदा है | साईनाथ केवल आप से ही मांगना, आप की तरफ देखना है, आप की भक्ति करनी है और आप को ही प्रार्थना करनी है | हम आपके सदा ऋणी हैं, शुक्रगुजार हैं और आपकी शरण में हैं | हमारा हाथ आपके हाथ में है | आपने हमारा हाथ सदा के लिए अपने हाथ में पकड़ा हुआ है | हमारा शुरू और अंत आप से ही है. हमें सदा क्षमा करने वाले दयावान आप ही हो |
श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय
No comments:
Post a Comment