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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Monday, 26 December 2011

उदी (विभूति)क़ि महिमा

श्रधा                                                                 सबुरी 


उदी (विभूति)क़ि महिमा
बिच्छू का डंक
नासिक के श्री. नारायण मोतीराम जानी बाबा के परम भक्त थे । वे बा के अन्य भक्त रामचंद्र वामन मोडक के अधीन काम करते थे । एक बार वे अपनी माता के साथ शिरडी गये तथा बाबा के दर्शन का लाभ उठाया । तब बाबा ने उनकी माँ से कहा कि अब तुम्हारे पुत्र को नौकरी छोड़कर स्वतंत्र व्यवसाय करना चाहिये । कुछ दिनों में बाबा के वचन सत्य निकले । नारायण जानी ने नौकरी छोड़कर एक उपाहार गृह आनंदाश्रम चलाना प्रारम्भ कर दिया, जो अच्छी तरह चलने लगा । एक बार नारायण राव के एक मित्र को बिच्छू ने काट खाया, जिससे उसे असहनीय पीड़ा होने लगी । ऐसे प्रसंगों में उदी तो रामबाण प्रसिदृ ही है । काटने के स्थान पर केवल उसे लगा ही तो देना है । नारायण ने उदी खोजी, परन्तु कहीं न मिल सकी । उन्होंने बाबा के चित्र के समक्ष खड़े होकर उनसे सहायता की प्रार्थना की और उनका नाम लेते हुए, उनके चित्र के सम्मुख जलती हुई ऊदबत्ती में से एक चुटकी भस्म बाबा की उदी मानकर बिच्छू के डंक मारने के स्थान पर लेप कर दिया । वहाँ से उनके हाथ हटाते ही पीड़ा तुरंत मिट गई और दोनों अति प्रसन्न होकर चले गये ।

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