ॐ सांई राम
मातृप्रेम ---------
गाय का अपने बछडे पर प्रेम सर्वविदित ही है । उसके स्तन सदैव दुग्ध से पूर्ण रहते हैं और जब
भूखा बछड़ा स्तन की ओर दौड़कर आता है तो दुग्ध की धारा स्वतः प्रवाहित होने लगती है । उसी प्रकार माता भी अपने बच्चे की आवश्यकता का पहले से ही ध्यान रखती है और ठीक समय पर स्तनपान कराती है । वह बालक का श्रृंगार उत्तम ढ़ंग से करती है, परंतु बालक को इसका कोई भान ही नहीं होता । बालक के सुन्दर श्रृंगार को देखकर माता के हर्ष का पारावार नहीं रहता । माता का प्रेम विचित्र, असाधारण और निःस्वार्थ है, जिसकी कोई उपमा नही है । ठीक इसी प्रकार सद्गुरु (साईं नाथ) का प्रेम अपने शिष्य (भक्तो) पर होता है । ऐसा ही प्रेम बाबा का मुझ पर (हेमाद्पंथ) था और उदाहरणार्थ वह निम्न प्रकार था :-
सन् 1916 में मैने नौकरी से अवकाश ग्रहण किया । जो पेन्शन मुझे मिलती थी, वह मेरे कुटुम्ब (परिवार) के निर्वाह के लिये अपर्याप्त थी । उसी वर्ष की गुरुपूर्णिमा के दिवस मैं अन्य भक्तों के साथ शिरडी गया । वहाँ अण्णा चिंचणीकर ने स्वतः ही मेरे लिये बाबा से इस प्रकार प्रार्थना की, इनके ऊपर कृपा करो । जो पेन्शन इन्हें मिलती है, वह निर्वाह-योग्य नही हैं । कुटुम्ब में वृदि हो रही है । कृपया और कोई नौकरी दिला दीजिये, ताकि इनकी चिन्ता दूर हो और ये सुखपूर्वक रहें । बाबा ने उत्तर दिया कि इन्हें नौकरी मिल जायेगी, परंतु अब इन्हें मेरी सेवा में ही आनन्द लेना चाहिए । इनकी इच्छाएँ सदैव पूर्ण होंगी, इन्हें अपना ध्यान मेरी ओर आकर्षित कर, अधार्मिक तथा दुष्ट जनों की संगति से दूर रहना चाहिये । इन्हें सबसे दया और नम्रता का बर्ताव और अंतःकरण से मेरी उपासना करनी चाहिये । यदि ये इस प्रकार आचरण कर सके तो नित्यान्नद के अधिकारी हो जायेंगे ।
जिस प्रकार बाबा का प्रेम हेमांडपन्त जी पर था उसी प्रकार का प्रेम बाबा जी आज भी अपने सभी भक्तो से करते है, भक्त चाहे अपने अच्छे समय में बाबा को भूल भी जाये परन्तु बाबा अपने भक्त को कभी नहीं भूलते जो बाबा की शरण में एक बार चला जाता है उसका बाबाजी अंत समय के बाद भी साथ देते है, बाबा ने दो मन्त्र दिए है श्रद्धा और सबुरी जो भी इनको अपनाता है उससे अपने जीवन में किसी प्रकार का दुःख नहीं होता बाबाजी ने कहा है मेरे वचनों को उपयोग में लाना ही मेरा पूजन करने के बराबर है, बाबा कब किसके रूप में आकर हमारी सारी चिंतायें दूर कर देते है ये कोई नहीं जानता इसीलिए यदि अपने जीवन को सुधारना है तो स्वयं को बाबा को सौंपदो क्योंकि इस जीवन में यदि कोई साथ देगा तो वो बस बाबा है और कोई नहीं हर रिश्ता बाबा का बनाया हुआ है, जिसने ये सभी रिश्ते बनाये है यदि हम उसी को पकड़ लेंगे तो हर रिश्ता हमे उसी (बाबा) में मिल जायेगा |
साईं माँ
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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