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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Saturday, 5 May 2012

सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है

ॐ सांई राम
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है
जिसने तन पर चिथड़े पहने हैं
सर पर साफा बाँधा है,
और हाथों में एक इंट साथ लाया है,
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है
कोई कहता है, वो चाँद भाई के साथ आया है,
कोई कहता है, वो पहले भी आया था

और अब पुनः आया है,
कोई कहता है, वो यवन है
कोई कहता है, नहीं वो हिन्दू है
जो भी वो हो, वो शिर्डी गाँव में बहार लाया है
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है
कोई कह रहा था, उसके चेहरे पर नूर है
और आँखों में प्यार साथ लाया है,
उसके शरीर से सुगंध आती है
सुना है, जो उसे देखे, मोहित हो जाता है
उसे देखे तो मन व्याकुल हो जाता है
कुछ सुध-बुध नहीं रहती
और मन प्रसंचित और एकाग्र हो जाता है
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है
जो भूमि बंजर थी वहां अब खेत लहराते हैं
जिन कुओं में पानी नहीं था
वहां फकीर ने अपने हाथों से गुलाब फेंके
और देखते ही देखते कुओं से मीट्ठे पानी की फुहार उठी
वो हिन्दुओं को 'अल्लाह मालिक' और
यवनों को 'इश्वर भला करेगा' कहता है
रातों को शिर्डी की गलियों में घूमता है
और दिन भर मस्जिद में बेठता है
कोई कुछ पूछे तो अपनी आँखों से बोलता है
शिर्डी के पशु-पक्षी, और लोग उसके दीवाने है
जहाँ वो जाए वो उसके पीछे-पीछे जाते है
और अब तो ये आलम है, वो मुस्कुराये तो वो मुस्कुराते हैं
की गलियां सूनी थी, वहां अब ढोल-नगाड़े बजते है
कोई कह रहा था, मस्जिद के अन्दर से
जोर-जोर से हसने की आवाजे आती हैं
बच्चे उसके साथ खेलते है
और बड़े उसे दो टूक निहारते रहते है
कोई कह रहा था,
अब वहां का वातावरण ही बदल गया है
हर कोई प्रेम से जीना चाहता है,
वहां आपस में प्यार है
सभी की आँखों में एक अजीब सा खुमार है
ऐसा लगता है, मानो
फूल पूर्णरूप से खिलना चाहते हैं
सुगंध चारों और बिखेरना चाहते है
आसमान भी धरती पर आना चाहता है
उस फकीर के कदमो को चूमना चाहता है
सूरज को भी फक्र है की वो शिर्डी में
किरने (रोशिनी) बिखेरता है
चन्द्रमा को देखो, तो लगता है
वो वादा करता है मैं उस फकीर को
अब यहाँ से जाने ना दूंगा
चारों और अपने प्रेम का 'Aura' बना दूंगा
और जो भी यहाँ आएगा, उसे निखार दूंगा
शिर्डी की मिटटी भी बोलती है
मुझे पता था ये फकीर जरूर आएगा
और मेरा उद्धार कर जायेगा
लगता है उसको भी पता था
उस जैसा कोई तो आएगा
जो षड्रिपूओं पर विजय प्राप्त कर
उस जैसा बन कर दिखा जायेगा
लोगो को जीना सिखा जायेगा
उनके मन में प्रेम को अंकुरित कर जायेगा
उनको बता जायेगा, वो शिर्डी में ही नहीं, कण-कण में हैं
चलो सखी, हम भी चले
उस प्रेम के अवतार को देख ले
सुना है शिर्डी में एक फकीर आया है..

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