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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Sunday 13 May 2012

शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले

ॐ सांई राम

शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सच है क्या झूठ क्या है अभी तक,  जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सच है क्या झूठ क्या है अभी तक,  जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सच है क्या झूठ क्या है अभी तक,  जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे

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