भेष फकीर का लेकिन सबकी वो तकदीर बनाये
जो भी उसके दर पे जाता खाली हाथ न आये
कभी रहीम के रूप में दिखता, कभी दिखे वो राम
भटक रहे इंसानों को वो प्रेम का मार्ग दिखाये
भाई भाई में बैर जहां ये साईं उन्हें मिलाये
हिन्दू पूजे मुस्लिम पूजे साईं को सुबहो शाम
कभी रहीम के रूप में दिखता, कभी दिखे वो राम
चल रे चल रे मेरे मनवा तू भी साईं शरण में
अपने अहंकार को तज दे रख दे शीश चरण में
साईं तुझ पे कृपा करेंगे चल शिर्डी के धाम
कभी रहीम के रूप में दिखता, कभी दिखे वो राम
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