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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Sunday 12 May 2013

श्री साईं लीलाएं - योगी का आत्मसमर्पण

ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. सबका रखवाला साईं    


श्री साईं लीलाएं


योगी का आत्मसमर्पण

एक बार चाँदोरकर के साथ एक सज्जन साईं बाबा से मिलने के लिए शिरडी आये थे| उन्होंने योग साधना के अतिरिक्त अनेक ग्रंथों का भी अध्ययन किया था, लेकिन उन्हें जरा भी व्यावहारिक ज्ञान नहीं था| पलमात्र भी वे समाधि लगाने में सफल नहीं हो पाते थे| उनके समाधि साधने में बाधा आती थी| उन्होंने विचार किया कि यदि साईं बाबा उन पर कृपा कर देंगे तो उनकी समाधि लगाने के समय आने वाली बाधा समाप्त हो जाएगी| अपने इसी उद्देश्य से वे चाँदोरकर के साथ शिरडी आये थे|

चाँदोरकर के साथ जब वे साईं बाबा के दर्शन करने के लिए मस्जिद पहुंचे तो उस समय साईं बाबा जुआर की बासी रोटी और कच्ची प्याज खा रहे थे| यह देखकर वह सज्जन सोचने लगे कि जो व्यक्ति कच्ची प्याज के संग बासी रोटी खाता हो, वह मेरी समस्या को कैसे दूर कर सकेगा? साईं बाबा तो अंतर्यामी थे| किसके मन में क्या विचार पैदा हो रहे हैं, यह उनसे छिपा न था| बाबा उन सज्जन के मन की बात जानकर नाना चाँदोरकर से बोले - "नाना ! जो प्याज को हजम करने की ताकत रखता है, प्याज भी उसी को खाना चाहिए, दूसरे को नहीं|"

वह सज्जन जो स्वयं को योगी समझते थे, बाबा के शब्दों को सुनकर अवाकू रह गये और उसी पल बाबा के श्रीचरणों में नतमस्तक हो गये| बाबा ने उसकी सारी समस्यायें जान लीं और उसे उनका समाधान भी बता दिया|

बाद में वे सज्जन बाबा के दर्शन कर जब वापस लौटने लगे तो बाबा ने उन्हें आशीर्वाद और ऊदी प्रसाद के साथ विदा किया|

कल चर्चा करेंगे..सर्प विष-निवारक था        

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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