श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ
मलक भागो का ब्रह्म भोज व उसको उपदेश
मलक भागो ने ब्रह्म भोज करके सभ खत्रियों, ब्राह्मणों और साधुओं, फकीरों व नगर वासियों को बुलाया| उसने यह निमंत्रण गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) को भी दिया| पर गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) ने इस भोज में आने को मना कर दिया| बार -२ बुलाने पर गुरु जी वहाँ पहुँचे| मलक भागो ने भोज पर ना आने का कारण पूछा? तब गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) ने कहा, भाई लालो कि कमाई का भोजन दूध के समान है, पर तेरी कमाई का भोजन लहू के समान है| वहाँ पर उपस्थित सभी लोगों ने भोजन ग्रहण कर लिया, लेकिन गुरु जी ने नहीं किया| गुरु जी ने कहा कोई सूझ बुझ वाला व्यक्ति दूध को छोड़कर लहू नहीं पीता|मलक भागो ने इस बात का सबूत गुरु जी से माँगा| तब गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) ने ने दाहिने हाथ में भाई लालो कि सूखी रोटी ली और भागो के भोज से पूरी मंगवाई| तब गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) ने दोनों हाथों कि मुठियों को जोर से दबाया| लालो कि सूखी रोटी में से दूध और मलक भागो के भोजन से लहू के तुपके गिरे| गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) कि इस दैवी शक्ति से सारी सभा हैरान हो गयी| मलक भागो मन ही मन में परेशान हो गया और गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) से क्षमा माँगी| उसने गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) को नेक कमाई करने का वायदा भी किया|
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