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Monday, 3 June 2013

श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - नवाब व काजी के साथ नमाज पढ़ने का कौतक

श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ


नवाब व काजी के साथ नमाज पढ़ने का कौतक

गुरु जी के बचन, "ना कोई हिंदू न मुसलमान" को जब काजी ने सुना तो उसने गुरु जी से इसका भाव पूछा| गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) ने कहा इस समय अपने धरम के अनुसार चलने वाला ना कोई सच्चा हिंदू है ना ही कोई अपने दीन मजहब के अनुसार चलने वाला सच्चा मुसलमान है| काजी ने जब यह सारी बात नवाब को बताई तो नवाब ने गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) को बुलाकर कहा कि अगर आपकी नजर में हिंदू मुसलमान एक बराबर है तो आज जुम्मे का दिन है, आप मेरे साथ चलकर मसीत में नमाज पढ़े| गुरु जी उनकी यह बात मानते हुए मसीत में साथ चल पड़े| नवाब, काजी व और लोग नमाज पड़ते रहे पर गुरु जी चुपचाप खड़े रहे|

नमाज उपरांत आप जी से पूछा गया कि आप ने नमाज क्यों नहीं पड़ी? आप ने बताया कि नवाब साहिब काबुल में घोड़े खरीद रहे थे और काजी यह सोच रहे थे कि उनकी नयी सुई घोड़ी का बच्चा कही कुएँ में ना गिर पड़े ,शीघ्रता से घर पहुँचा जाये| फिर आप ही बताएँ हम नमाज किसके साथ पड़ते? तन रूप में हम सभी यहाँ माजूद थे, पर मन रूप में आप गैरहाजर थे| आपका मन निजी कार्यों में लगा हुआ था और हम तो आपके मन कि देखभाल ही करते रह गए| आपके यह बचन सुनकर काजी और नवाब दोनों ने आपको नमस्कार कि और अपनी भूल कि क्षमा मांगी|

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