श्री गुरु अमर दास जी–साखियाँ - सावण मल के अहंकार को तोड़
श्री गुरु अमर दास जी–साखियाँ - सावण मल के अहंकार को तोड़ना
गुरु अमरदास जी ने सावण मल को लकड़ी की जरूरत पूरी होने के पश्चात गोइंदवाल वापिस बुलाया| परन्तु सावण मल मन ही मन सोचने लगा अगर मैं चला गया तो गुरु जी मुझसे वह रुमाल ले लेंगे जिससे मृत राजकुमार जीवित हुआ था| इससे मेरी कोई मान्यता नहीं रहेगी| सारी शक्ति वापिस चली जायेगी| अच्छा तो यही रहेगा कि मैं गोइंदवाल ही ना जाऊँ| ऐसा विचार मन में आते ही सावण मल ने गुरु की आज्ञा का उलंघन कर दिया| गुरु जी ने उसकी सारी शक्ति वापिस खींच ली| शक्ति चले जाने से सावण मल बहुत पछताया और अपनी भूल की क्षमा माँगने के लिए गोइंदवाल जाने को तैयार हो गया| इस प्रकार गुरु घर का निरादर करके सावण मल शक्तियों से भी हाथ धो बैठा|
जिस शक्ति के जाने के भय से वह रियासत को नहीं छोड़ रहा था गुरु जी ने उसके उसी रियासत में बैठे ही वह शक्ति उससे छीन ली और उसके अहंकार को भी तोड़ दिया|
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