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शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Sunday 11 August 2013

श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय

श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय



श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय



प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 1630
Parkash Ustav (Birth date): 1630 

पिता: बाबा गुरदित्ता जी
Father: Baba Gurditta Ji 

माँ: माता निहाल कौर जी
Mother: Mata Nihal Kaur Ji 

महल (पति या पत्नी): माता कृष्ण कौर
Mahal (spouse): Mata Krishen Kaur 

साहिबज़ादे (वंश): राम राय, हर्क्रिशन जी
Sahibzaday (offspring): Ram Rai, HarKrishan ji 

ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 6 अक्टूबर 1661
Joti Jyot (ascension to heaven): October 6, 1661 


गुरु मंगल 

दोहरा-कथा गुरु हरि राय की सुनो श्रोता सावधान||
पावन पुन उपावनी गण पापन की हान||




श्री गुरु हरि राय जी श्री बाबा गुरदित्ता जी के घर माता निहाल कौर जी की कोख से माघ सुदी १३ संवत १६८१ विक्रमी को करतारपुर के स्थान पर अवतार धारण किया|

बाबा गुरुदित्ता जी ने जब १० संवत १६९५ को शरीर त्यागा तो १३वे वाले दिन दस्तारबंदी के समय हरि राये जी करतारपुर से नहीं आये तो गुरु जी ने सम्बन्धियों और भाई भाना आदि गुरुसिखो से सलाह करके बाबा जी के छोटे सुपुत्र श्री हरि राये को हर प्रकार से योग्य जानकर दस्तारबंदी करके गुरुदित्ता जी का अधिकारी नियत कर दिया|

श्री हरि राये जी अपने प्रण के पक्के थे|एक दिन गुरु हरिगोबिंद जी बाग की सैर करने आपको साथ ले गये|श्री हरि राये जी गुरु जी के पीछे-२ ही जा रहे थे कि उनके जमे के साथ अटककर कली का फूल जमीन पर गिर गया|गुरु जी ने जब ऐसा देखा तो श्री हरि राये को कहने लगे कि अगर लंबा जामा पहनना हो तो संभल कर चला करो|बेपरवाही अच्छी नहीं होती| यह बात सुनकर हरि राये जी ने गुरु जी से क्षमा माँगी ,साथ ही साथ प्रण भी किया के आगे से जामा ऊँचा उठा कर रखेंगे|और यह प्रण आप ने जीवन भर निभाया|

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