ॐ सांई राम
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श्री साईं-कथा आराधना (भाग - 6 )
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
साईं की लीला सुनकर लोग दौड़े आते थे ,
और उनके आगे बैठकर फरियाद सुनाते।
भिक्षा में मिले भोजन को साईं बाँट कर खाते ।कुत्ते बिल्ली को देकर वो तृप्त हो जाते ।
बाबा ने कभी किसी से घृणा ही करी
रोगी और अपाहिज की खुद सेवा ही करी ।
भागो जी की काया में जहाँ -तहां घाव थे भरे ।
वो कोढ़ से पीड़ित हो सह रहे थे कष्ट बड़े ।
साईं - कृपा से भागो जी कष्ट से मुक्ति पा गए
और साईं सेवा करके तो धन्य ही हो गए ।
सचमुच करुणा के अवतार थे साईं ।
हर कष्ट , दुख से जिन्होंने मुक्ति दिलाई ।
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
साईं की शरण में जो एक बार आ गया ,
साईं -कृपा को वो तो पल भर में ही पा गया ।
ममता की मूरत बनकर साईं आये थे शिर्डी ।
आँचल की छाँव आज भी वही देती है शिर्डी ।
साईं जी ने दे दी थी कोढ़ी को भी काया ,
फिर भागो जी की सेवा ले के मान बढ़ाया ।
श्री साईं ने कभी दौलत से न कभी प्यार था किया ,
भिक्षा पर ही अपना जीवन बिता दिया ।
गर दक्षिणा जो लेते साईं कभी किसी से
लौटाते उसको अपने हजार हाथों से ।
शिर्डी में एक दिन घोर झंझावत आया ।
बाबा उस पर गरजे और शांत कराया ।
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईं नाथ कहिए
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