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शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Wednesday, 4 September 2013

श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ - संत मलूक दास का भ्रम दूर करना

श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ



संत मलूक दास का भ्रम दूर करना


चलते-चलते गुरु तेग बहादर जी मानकपुर नगर के पास जा ठहरे|इस गाँव में एक वैष्णव संत मलूक दस रहते थे|वह गुरु जी के दर्शन करना चाहता था,परन्तु वह यह निश्चय करके बैठारहा कि गुरु जी अगर अंतर्यामी है,तो स्वयं मुझे बुलाकर दर्शन देंगे| 

अन्तर्यामी गुरु मलूक दास कि प्रतिज्ञा जान गये|उन्होंने एक सिख को कहा कि मलूक दास के डेरे जाकर उसे पालकी में बिठाकर हमारे पास लाओ| एक सिख ने मलूक दास को जाकर बताया कि गुरु जी आपको याद कर रहे है|पालकी में बैठ जाओ,हम आपको ले चलते है|

गुरु तेग बहादर जी का ऐसा हुक्म सुनकर मलूक दास बहुत प्रसन्न हुआ|यह पालकी में बैठकर गुरु जी के पास पहुँच गया| पालकी से उतकर उसने गुरु को माथा टेका और फिर यह दोहरा उच्चारण किया-

मलूका पापी खेड को भगति ण जानी तोहि||
भगति लिखी थी और को प्रभू धोखा दे मोहि||४७||


गुरु जी ने कहा-

सुनि मलूक हरि के भगति नहि राखो मन दरोहि ||
भगति लिखी थी अवर को करि किरपा दई तोहि||४९||


गुरु जी के वचन सुनकर और दर्शन करके म्ल्लुक दास आनंदमय हो गया| उसने प्रार्थना कि आप मेरे डेरे चले|मैं भी आपकी सेवा करके जनम सफल करना चाहता हूँ|उसकी प्रार्थना सुनकर गुरु जी ने डेरे पे जाना स्वीकार किया|

मलूक ने भोजन तैयार करके गुरु जी के आगे रख दिया|उसने यह भी प्रार्थना की कि महाराज! पहले मैं पत्थर के ठाकरों को भोग लगाया करता हूँ|आज आप प्रत्यक्ष ठाकर मेरे पास बैठकर भोग लगा रहे हो|

गुरु जी अब तो मेरा भ्रम भी दूर हो गया है|अब मैं प्रत्यक्ष ठाकर की पूजा ही किया करूँगा|मलूक दास पास एक रात का विश्राम और वार्तालाप करके गुरु जी दूसरे दिन प्रातकाल ही मलूक दास को खुशी देकर आगे की ओर चल पड़े|

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