ॐ सांई राम
पिंडजप्रवरारूढ़ा चंडकोपास्त्रकैयुर्ता |
माँ
दुर्गा जी की तीसरी शक्ति का नाम 'चंद्रघंटा' है | नवरात्रि-उपासना में
तीसरे दिन इन्ही के विग्रह का पूजन आराधन किया जाता है | इनका यह स्वरूप
परम शक्तिदायक और कल्याणकारी है | इनके मस्तक में घंटे के आकार का
अर्धचन्द्र है | इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है | इसके शरीर
का रंग स्वर्ण के सामान चमकीला है | इनके दस हाथ है | इनके दसों हाथों में
खड्ग आदि शास्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं | इनका वाहन सिंह है |
इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उधयत रहने वाली होती है | इनके घंटे की-सी भयानक
चंडध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं |
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पिंडजप्रवरारूढ़ा चंडकोपास्त्रकैयुर्ता |
प्रसादं तनुते महा चन्द्रघंटेती विश्रुता ||
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सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च |
दधाना हस्त पद्माभ्याम कूष्मांडा शुभदास्तु मे ||
माँ
दुर्गा जी के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है | अपनी मंद हलकी हंसी
द्व्रारा अंड अर्थात ब्रम्हांड को उत्पन करने के कारण इन्हें कूष्मांडा
देवी के नाम से अभिहित किया गया है | जब सृष्टि का आस्तित्व नहीं था, चारों
ओर अन्धकार ही अन्धकार था, तब इन्ही देवी ने अपने हास्य से सृष्टि की रचना
की थी | इस कारण यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदि-शक्ति हैं | इनसे पूर्व
ब्रम्हांड का आस्तित्व था ही नहीं |
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