You are visitor No.

शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Monday 19 August 2013

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ - एक माई की श्रद्धा पूरी करनी

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ





एक माई की श्रद्धा पूरी करनी

एक बजुर्ग माई जो कि निर्धन थी| उसके मन में यह भाव था कि गुरु जी उसके हाथ का तैयार किया हुआ भोजन खाये| जिस दिन गुरु जी उसके हाथ का बना भोजन खायेगें वह किसमत वाली हो जायेगी| उसने मेहनत मजदूरी करके कुछ पैसे जोड़ लिए और गुरु जी के भोजन के लिए रसद भी तैयार करके रख ली|

एक दिन उसने स्नान करके रसोई का लेप किया और गुरु जी के लिए भोजन तैयार करने लगी| मन में उसके श्रद्धा भाव था कि गुरु जी मेरा भोजन अवश्य ग्रहण करेगें| उसने दो रोटियाँ तैयार करके उसके ऊपर घी, चीनी डालकर साफ कपड़े में लपेट लिया और गुरु दरबार की और चल पड़ी| लेकिन मन में बार बार यही भाव थे कि वह किस तरह कपड़े में लपेटा हुआ भोजन गुरु जी को देगी|

उधर गुरु जी ने माई की प्रार्थना सुन ली और उसकी श्रधा को देखकर दीवान से उठ गए| उन्होंने जल्दी जल्दी घोड़ा तैयार करवाया और शिकार के बाहने उधर ही चाल पड़े जिस तरफ से गरीब माई गुरु-गुरु का जाप करते हुए आ रही थी| जब माई ने देखा कि गुरु जी कुछ सिखो के साथ घोड़े पर सवार होकर इधर ही आ रहे हैं तो वह एक तरफ खड़ी हो गई|

माई को एक तरफ खड़ी देखकर गुरु जी ने घोड़ा उसके पास जाकर ही खड़ा कर दिया और कहने लगे - "माई हमे बहुत भूख लगी है हमें रोटी दो|" यह वचन सुनते ही माई ने कपड़े में लपेटी हुई रोटी दोनों हाथों से गुरु जी के आगे कर दी| गुरु जी ने कपड़े में से रोटी निकाली और हाथ के ऊपर रखकर खाने लगे| साथ-साथ गुरु जी ने कहना शुरू किया कि यह भोजन बहुत स्वाद है, हमें बहुत आनन्द आया है| गरीब माई की आँखों से आंसू बहने लगे|

गुरु जी ने भोजन किया और कपड़ा वापिस माई को दे दिया| गुरु जी ने वचन किया कि माई तू निहाल हो गई है| तब माई ने गुरु के चरणों पर माथा टेका और उनकी महिमा गाती हुई घर की और चल दी|

No comments:

Post a Comment