चरणामृत से रोगियों के रोग दूर करना
उस समय दिल्ली शहर में हैजे की बीमारी से बहुत लोग बीमार थे| गुरु जी के आने की खबर सुनकर बहुत से रोगी आपके पास आने लगे| आप जिन्हें भी अपने चरणों का चरणामृत देते वह जल्द ही स्वस्थ हो जाता| इस प्रकार आपकी उपमा को सुनकर बहुत रोगी आपके पास आने लगे| आपने एक कुंड बनवाया जिसमे अमृत समय के स्मरण से उठकर अपने चरणों की छोह का पानी भर देते| इस कुंड में आए हुए रोगियों को सेवादार आठों पहर चरणामृत देते| जिससे बहुत से रोगी स्वस्थ हो गए| वह गुरु जी की महिमा गाते और भेंट अर्पण करते|
इस वार्ता को सुनकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अरदास में यह शब्द रखे -
"श्री हरि कृष्ण जी धिआईअै जिस डिठै सभ दुख जाइ||"
No comments:
Post a Comment