श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – साखियाँ
बादशाह को भ्रम हो गया
एक दिन बादशाह ने पीर जलाल दीन को इसका कारण पूछा| पीर ने कहा तुमने किसी प्रभु के प्यारे को दुःख दिया है जिसका फल तुझे यह मिल रहा है| इसके पश्चात पीर मीया मीर जी ने भी दिल्ली जाकर बादशाह से उसके रोग का कारण यही बताया|
मीया मीर जी ने चंदू की वह सारी बात सुनाई जिसके कारण उसने श्री गुरु हरिगोबिंद जी के पिता श्री गुरु अर्जन देव जी को कष्ट देकर शहीद किया था| अब तुम चंदू के कहने पर ही उनके सुपुत्र गुरु हरिगोबिंद जी को कैद किया हुआ है इसका फल अशुभ है और तुझे परेशानी हो रही है|
यह भी लिखा है कि भाई जेठा जी अपनी सिद्धियों के बल के कारण रात को शेर बनकर आता है और बादशाह को डराता है| जब इस बात का पता गुरु जी को लगा तो आपने भाई जेठे को इस काम से रोक दिया|
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