ॐ सांई राम
साईं वाणी (भाग 4)
साईं नाम सुधा रस सागर, साईं नाम ज्ञान गुण आगर |
साईं नाम धुन आनंद नाद, नाम जपे मन हो विस्माद |
साईं नाम मुक्ति का दाता, ब्रह्मधाम वह खुद पहुँचाता ||
हाथ से करिये साईं का कार, पग से चलिए साईं दे द्वार |
मुख से साईं सुमिरन करिये, चित्त सदा चिन्तन में धरिये ||
कानों से यश साईं का सुनिये, साईं धाम का मार्ग चुनिये |
साईं नाम पढ़ अमृतवाणी, साईं नाम धुन सुधा समानी ||
आप जपो औरों को जपावो, साईं धुनी को मिलकर गावो |
साईं नाम का सुन कर गाना, मन अलमस्त बने दीवाना ||
पल पल उठे साईं तरंग, चढ़े नाम का गूढ़ा रंग |
साईं कृपा है उच्चतर योग, साईं कृपा है शुभ संयोग ||
साईं कृपा सब साधन मर्म, साईं कृपा सयम सत्य धर्मं |
साईं नाम का मन में बसाना, सुपथ साईं कृपा का है पाना ||
मन में साईं धुन जब फिरे, साईं कृपा तब ही अवतरे |
रहूँ मैं साईं नाम में लीन, जैसे जल में मीन अदीन ||
साईं नाम को सिमरिये, साईं साईं इक तार |
परम पाठ पावन परम, करता भाव से पार
||
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं===
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