ॐ सांई राम
साईं वाणी (भाग 5)
साईं कृपा भरपूर मैं पाऊँ, प्रथम प्रभु को भीतर लाऊँ |
साईं ही साईं साईं कह मीत, साईं सेकर ले सच्ची प्रीत ||
साईं ही साईं का दर्शन करिये, मन भीतर इक आनंद भरिये |
साईं की जब मिल जाये भिक्षा, फिर मन में कोई रहे न इच्छा ||
जब जब मन का तार हिलेगा, तब तब साईं का प्यार मिलेगा |
मिटेगी जग से आनी जानी, जीवन मुक्त होये यह प्राणी ||
शिर्डी के हैं साईं हरि, तीन लोक के नाथ |
बाबा हमारे पावन प्रभु, सदा के सँगी साथ ||
साईंधुनी जब पकड़े ज़ोर , खींचें साईं प्रभु अपनी ओर |
मंदिर मंदिर बस्ती बस्ती, छा जाये साईं नाम की मस्ती ||
अमृतरूप साईं गुणगान, अमृत कथन साईं व्याख्यान |
अमृत वचन साईं की चर्चा, सुधा सम गीत साईं की अर्चा ||
शुभ रसना वही कहावे, साईं राम जहाँ नाम सुहावे |
शुभ कर्म है नाम कमाई, साईं नाम परम सुखदाई ||
जब जी चाहे दर्शन पाइये, जय जयकार साईं की गाइये |
साईं नाम की धुनी लगाइये, सहज ही भाव सागर तर जाइये ||
बाबा को भजें निरंतर, हर दम ध्यान लगावे |
बाबा में मिल जावे अंत में, जनम सफल हो जावे ||
बाबा में मिल जावे अंत में, जनम सफल हो जावे ||
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं===
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