ॐ सांई राम
साईं वाणी (भाग 6)
धन्य धन्य श्री साईं उजागर, धन्य धम्य करुना के सागर |
साईं नाम मुद मंगलकारी, विघ्न हरे सब पाठक हारी ||
धन्य धन्य श्री साईं हमारे, धन्य धन्य भक्तन रखवारे |
साईं नाम शुभ शकुन महान, स्वस्ति शान्ति कर शिव कल्याण ||
धन्य धन्य सब जग के स्वामी, धन्य धन्य श्री साईं नमामि |
साईं साईं मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना ||
साईं नाम जो जन मन लावे, उस में शुभ सभी बस जावे |
जहाँ हो साईं नाम धुन नाद, वहां से भागे विषम विषाद ||
साईं नाम मन तपन बुझावे, सुधा रस सींच शान्ति ले आवे |
साईं साईं जपिये कर भाव, सुविधा सुविधि बने बनाव ||
छल कपट और झूठ हैं, तीन नरक के द्वार |
झूठ कर्म को छोड़ के करो सत्य व्यवहार ||
जप तप तीरथ ज्ञान ध्यान, सब मिल नहीं साईं सामान |
सर्व व्यापक साईं ज्ञाता, मन वांछित प्राणी फल पाता ||
जहां जगत में आवो जावो, साईं सुमीर साईं को गावो |
साईं सभी में एक सामान,सब रूप को साईं का जान ||
मन में मेरा कुछ नहीं अपना, साईं का नाम सत्य जग सपना |
इतना जान लेहु सब कोय, साईं को भजते साईं का होय ||
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं===
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