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शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Tuesday 6 November 2012

श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं


ॐ सांई राम

श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं

कमरबंध और लंगोट --- बाबा की देह हो स्नान कराने के बाद उतारा हुआ, कमरबंध और लंगोट श्री बाबा जी पिल्ले जी के पुत्र ने संभाल कर रखा हुआ है |

द्वारकामाई का सिंहासन --- काका साहेब के साले , खांडवा के पुरुषोत्तम राव ने इसे साईं नाथ को अर्पित किया था |

रथ --- इसे रेगे , अवस्थी , कोठारी ने दिया था |

पालकी --- हरदा निवासी सदुभ्य्या , छोटू भय्या और राजा भय्या ने दी थी |

घोड़ा { श्यामसुन्दर } --- एक ताँगे वाले सातार ने दिया था |

बर्तन ---भालदार व चोपदारों के चांदी के चिन्ह , चंवर , चांदी का पुराना सिंहासन , चांदी व पीतल के पूजा के बर्तन आदि राधाकृष्णमाई ने साईं भक्तों से विनती कर साईं नाथ की शोभा यात्रा व पूजा अर्चन के लिए इकट्ठे किए थे | जो काम पुरुष न कर सके , वह काम एक महिला ने कर दिखाया |

चिलम --- नारायण कुम्हार साईं नाथ को एक कच्ची चिलम दिया करता था जिसे साईं महाराज स्वयं धुनी में पका कर पक्की करते थे | उस कुम्हार को साईं महाराज इसके चार आने दिया करते थे |

कफनी का कपड़ा --- बाबा नंदू बनिये से सफेद लट्ठा ३२ हाथ लंबा लिया करते थे | उसके बदले उसे चार रूपये दिया करते थे |

कफनी की सिलाई --- कफनी को बला शिम्पी नाम का दर्ज़ी सिलकर दिया करता था | लेकिन बाबा उसे दोबारा मोटी सुई से सिया करते थे | वे कफनी की सिलाई चार रूपये दिया करते थे |

पादुका --- चूना का बाह्मणी , जो बाबा केवल लेंडी बाग़ आने - जाने के लिए इस्तेमाल किया करते थे | बाकी समय वे उसका उपयोग नहीं करते थे |

पान के बीड़े --- राधाकृष्णमाई दिन में तीन चार बार बाबा को खाने के लिए पान बना कर दिया करती थी तथा दांत में फंसे हुए कण आदि निकालने के लिए चोटी तीली भी दिया करती थी |

बाबा के स्नान का पत्थर --- ये '' चौरंग " नासिक के रामा जी ने बनवाया था | रामा जी मानसिक रूप से असवस्थ थे , बाबा जब स्नान करते तो रामा जी उनके शरीर से छूकर गिरे हुए जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते और अपने शरीर पर मलते थे | ऐसा करने से उनकी मानसिक दशा में सुधार हुआ | बाबा को धन्यवाद करने के लिए उनहोंने यह पत्थर बनवाया था |

पलंग --- इस लकड़ी के तख़्त पर बाबा को अंतिम स्नान कराया गया | आजकल इसे चावडी की पश्चिम दीवार के साथ रखा गया है |

पान की डिब्बी --- यह डिब्बी सगुण मेरु नाईक ने अपने पास संभाल कर रखी थी |

जय साईं राम!!

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