ॐ सांई राम
हर हरकत मैं बरकत उसका
प्यार भी उसका नफरत उसकी |
खंडहर भी वो शहर भी वो है ,
अमृत भी वो ज़हर भी वो है |
वो चाहे तो प्याला भर दे
वो चाहे तो खाली कर दे .
ताक़त वो कमजोरी भी वो
कठपुतली वो डोरी भी वो
प्यार भी उसका नफरत उसकी |
खंडहर भी वो शहर भी वो है ,
अमृत भी वो ज़हर भी वो है |
वो चाहे तो प्याला भर दे
वो चाहे तो खाली कर दे .
ताक़त वो कमजोरी भी वो
कठपुतली वो डोरी भी वो
नाच उसकी मर्जी की धुन पर
जैसे नाच नचाये ..
न कोई आये न कोई .....
तेरे सामने गीत है उसका
तेरे पास संगीत है उसका .
तेरे सामने उसकी माला
तेरे पास तेरा रखवाला .
तेरे सामने सांज है उसके
तेरे सब राज़ है उसके .
तेरे सामने उसकी ज्योति
तेरे पास पूजा के मोती
फिर दुनिया के नाकि धन से
काहे प्यार बढाए ..
न कोई आये न कोई .....
धरती से आकाश का रिश्ता ,
दूर का रिश्ता, पास का रिश्ता .
साग़र से नदिया का बंधन
बिजली से बरखा का बंधन .
सड़को से गलियों का नाता .
सावन के झूलों के रिश्ते
माटी के फूलों के रिश्ते .
साईं के इस जोड़-तोड़ पर
तू क्यों चैन गवाए ..
न कोई आये न कोई .....
आप सभी के लिये साँई रसोई छत्तरपुर की एक और पेशकश
दिनांक 21 दिसम्बर 2012 से प्रत्येक शुक्रवार को हम आप के लिये भागवत गीता का एक अध्याय प्रस्तुत करने जा रहे है । आशा करते है की आप हमारे इस प्रयास को अवश्य स्वीकारेंगे एवं आप के आज तक के सहयोग एवं सराहना ने ही हमें आप के समक्ष इस महापुराण को सन्मुख करने की प्रेरणा दी है, हम आपके सहयोग के लिये आप सभी का आभार व्यक्त करते है
हम आशा करते है की आप किसी भी प्रकार की त्रुटी हेतु हमें ह्रदय से क्षमा प्रदान करेंगे..
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