ॐ सांई राम
न कोई आये न कोई जाये |
वो आये वो जाये
आते जाते, जाते आते
वो ही राह दिखाए ||
हर हरकत मैं बरकत उसका
प्यार भी उसका नफरत उसकी |
खंडहर भी वो शहर भी वो है ,
अमृत भी वो ज़हर भी वो है |
वो चाहे तो प्याला भर दे
वो चाहे तो खाली कर दे .
ताक़त वो कमजोरी भी वो
कठपुतली वो डोरी भी वो .
नाच उसकी मर्जी की धुन पर
जैसे नाच नचाये ..
न कोई आये न कोई .....
तेरे सामने गीत है उसका
तेरे पास संगीत है उसका .
तेरे सामने उसकी माला
तेरे पास तेरा रखवाला .
तेरे सामने सांज है उसके
तेरे सब राज़ है उसके .
तेरे सामने उसकी ज्योति
तेरे पास पूजा के मोती .
फिर दुनिया के नाकि धन से
काहे प्यार बढाए ..
न कोई आये न कोई .....
धरती से आकाश का रिश्ता ,
दूर का रिश्ता, पास का रिश्ता .
साग़र से नदिया का बंधन
बिजली से बरखा का बंधन .
सड़को से गलियों का नाता .
सावन के झूलों के रिश्ते
माटी के फूलों के रिश्ते .
साईं के इस जोड़-तोड़ पर
तू क्यों चैन गवाए ..
न कोई आये न कोई .....
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